एक टापू में बहुत से छोटे छोटे जंगल थे। उस टापू का एक शेर राजा था। उस टापू में बहुत से छोटे बड़े सियार भी थे। जो अपने वर्चस्व के लिए आपस में ही लडते रहते थे। कभी कोई किसी छोटे से जंगल में राजा बन जाता था तो कभी कोई दूसरा।
एक दिन टापू के राजा शेर को दूसरे टापू से निमंत्रण आया। राजा शेर ने अपनी विद्वता एवं प्रतिभा से दूसरे टापू के राजा एवं प्रजा दोनों को प्रभावित किया। दोनों टापू के बीच बहुत अच्छे राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक सम्बन्ध स्थापित हुए। हर तरफ राजा शेर की जयजयकार होने लगी।
राज्य में प्रजा की आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए लिए राजा प्रतिबद्ध था। और इस तरह से राजा जनता के बीच बहुत प्रसिद्ध हो गया।
राजा की बढ़ती लोकप्रियता टापू के सियारों को रास नहीं आई। सारे गीदड़ मिलकर राजा को गद्दी से नीचे उतारने की योजना बनाने लगे। सभी गीदड़ों ने मिलकर ऐसा षड्यंत्र रचा कि टापू की सारी जनता राजा के खिलाफ हो गई, सारे टापूवासी सड़कों पर उतर आए और उन्होंने राजा के खिलाफ नारेबाजी करना शुरू कर दिया।
तभी टापू में राजा के पद के लिए निर्वाचन प्रकिया शुरू हो गई। सारी जनता षड्यंत्र के परिणामस्वरूप राज्य की सत्ता को गीदड़ों के हाथ में दे दी।
अब उस टापू का राजा शेर नहीं बल्कि गीदड़ों का एक गठबंधन था।
एक दिन टापू के राजा शेर को दूसरे टापू से निमंत्रण आया। राजा शेर ने अपनी विद्वता एवं प्रतिभा से दूसरे टापू के राजा एवं प्रजा दोनों को प्रभावित किया। दोनों टापू के बीच बहुत अच्छे राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक सम्बन्ध स्थापित हुए। हर तरफ राजा शेर की जयजयकार होने लगी।
राज्य में प्रजा की आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए लिए राजा प्रतिबद्ध था। और इस तरह से राजा जनता के बीच बहुत प्रसिद्ध हो गया।
राजा की बढ़ती लोकप्रियता टापू के सियारों को रास नहीं आई। सारे गीदड़ मिलकर राजा को गद्दी से नीचे उतारने की योजना बनाने लगे। सभी गीदड़ों ने मिलकर ऐसा षड्यंत्र रचा कि टापू की सारी जनता राजा के खिलाफ हो गई, सारे टापूवासी सड़कों पर उतर आए और उन्होंने राजा के खिलाफ नारेबाजी करना शुरू कर दिया।
तभी टापू में राजा के पद के लिए निर्वाचन प्रकिया शुरू हो गई। सारी जनता षड्यंत्र के परिणामस्वरूप राज्य की सत्ता को गीदड़ों के हाथ में दे दी।
अब उस टापू का राजा शेर नहीं बल्कि गीदड़ों का एक गठबंधन था।
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